नई दिल्ली, 28 अप्रैल (VOICE) विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि यह बीमारी दुर्लभ और इलाज योग्य है, लेकिन युवा पुरुषों को टेस्टिकुलर कैंसर के बारे में पता होना चाहिए, जो उनके प्रजनन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। टेस्टिकुलर कैंसर न केवल दुनिया भर में दुर्लभ है, बल्कि भारत में भी है। देश में टेस्टिकुलर कैंसर की सबसे कम घटनाएं होती हैं, जहां प्रति 100,000 आबादी में 1 से भी कम पुरुष इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। हालांकि, यह 15 से 35 वर्ष की आयु के युवा पुरुषों में सबसे आम कैंसर है, और यह उनकी प्रजनन क्षमता को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।
बेंगलुरू के बसवेश्वर नगर में नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी की फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ. पल्लवी प्रसाद ने VOICE को बताया, “टेस्टिकुलर कैंसर का सीधा असर शुक्राणु पैदा करने वाले अंगों पर पड़ता है, जो प्रजनन की क्षमता में बाधा डाल सकता है।”
“टेस्टिकुलर कैंसर के लिए अक्सर सर्जरी का इस्तेमाल प्राथमिक उपचार के रूप में किया जाता है, जिसमें कैंसरग्रस्त टेस्टिकल को निकालना शामिल होता है। हालांकि यह सर्जरी घातक कोशिकाओं को खत्म करने की कोशिश करती है, लेकिन यह शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। भले ही बचा हुआ टेस्टिकल स्वस्थ हो, लेकिन शुक्राणु उत्पादन प्रभावित हो सकता है।